बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में विश्व महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तिकरण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डाॅ.रश्मि बुधिया, डाॅ.पल्ल्वी गिरी, डाॅ. भावना रायजादा, डाॅ.वीणा मोटवानी और रितु पाण्डेय ने अपने विचार रखे। अतिथी वक्ताओं ने अपने जीवन के संघर्ष को साझा करते हुए कहा कि महिला सशक्त तब होगी जब वह शिक्षित होगी। शिक्षा ही सशक्त होने का सबसे बड़ा माध्यम है। डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय छात्राओं को शिक्षित कर महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रहा है।
इस अवसर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि आज शहर की विख्यात महिला चिकित्सकों ने अपने जीवन के संघर्ष और सफलता की बातें बताई। निश्चित ही विश्वविद्यालय की छात्राओं को इससे प्रेरणा मिलेगी और वे संघर्ष से सफलता की राह तय करके समाज में अपना एक मुकाम तय करेंगी। इस अवसर पर डाॅ. दुबे ने सभी अतिथियों ने सभी सम्मानीत किया। कार्यक्रम में अतिथी वक्ताओं ने छात्राओं की सवालों के जवाब भी दिए और एक सार्थक चर्चा की गई। छात्राओं ने बेकाकी से अपनी बात रखी और सभी ने अपने आप को साबित करके दिखाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर महिला सेल की प्रभारी डाॅ. नमिता भारद्वाज,स्वाति बाला गुप्ता, प्रियंका जैन, नीलम साहू, प्रज्ञा चैहान सहित अन्य सभी पदाधिकारी उपस्थित थीं। परिचर्चा में विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या उपस्थित रहे।
समाज व देश में महिलाओं को मिला समान अधिकार-कुलसचिव
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि शास्त्रों में प्रकृति को स्त्री का रूप माना गया है,जिससे सब कुछ निहित है और इससे बाहर कुछ भी नहीं है। जब जब प्रकृति से छोड़छाड़ की गई तब तब इस संसार में विनाश ही आया है। श्री पाण्डेय ने बताया कि महिलाओं को हमेशा से सुरक्षित करने के लिए ही घर में रखा गया। इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी, क्योंकि उस समय की परिस्थतियां वैसी ही थी। घर में रहकर महिलाओं ने कौशल सीखा और वे घर चलाने में निपुर्ण हो गई। आज समय बदला है। महिलाएं खुद भी सुरक्षित हैं और वे दूसरों की भी रक्षा करने के योग्य है। महिलाओं को आज समाज और पूरे देश में समान अधिकारी मिल रहा है श्री पाण्डेय ने कहा यह देश देवी उपासना का देश है इसलिए हमेशा नारी पूजी जाएगी। श्री पाण्डेय ने विश्व महिला दिवस पर सभी को शुभकामनाएं दी।
महिलाएं अपनी गरिमा में रहकर अच्छा काम करें-डाॅ. भावना
कार्यक्रम में उपस्थित सिम्स की सहायक प्राध्यापक डाॅ. भावना रायजादा ने कहा कि सबसे पहले यह विचार करने की जरूरत है कि आज विश्व महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों है। जब तक समाज में कुरितियां खत्म नहीं होगी, जब तक महिलाओं का शोषण होता रहेगा। सशक्तिकरण की बातें सिर्फ पुस्तकों और कार्यक्रमों तक ही सीमित रह जाएगी। डाॅ. भावना ने बताया कि छात्राओं को यह बात समझ लेना चाहिए कि नारी अगर कोई बात ठान ने तो सब कुछ कर सकती है। उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष के बारे में अपनी बात साझा की और छात्राओं को प्रेरणा दी। डाॅ. भावना ने कहा कि यह भी जरूरी है कि महिलाएं अपनी गरिमा में रहकर अच्छा काम करें।
जीवन से डरना नहीं जीवन को समझना है-डाॅ. बुधिया
इस अवसर पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ.रश्मि बुधिया ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मैंने उस देश में जन्म लिया है जहां नारी की पूजा की जाती है और नारी को देवी माना जाता है। डाॅ.बुधिया ने कहा कि आज का दिन भारत की उन महिलाओं से प्रेरणा लेने का दिन है। जिन्होंने संघर्ष से भारत ही नहीं दुनिया में अपने आप को सबित करके बताया। उन्होंने झांसी की रानी से लेकर प्रियंका चोपड़ा से सीख लेने की बात कही। डाॅ. बुधिया ने बताया लोगों से कम उनके विचारों से जिज्ञासु बनने की जरूरत है। जीवन से डरना नहीं है जीवन का समझना है। इस अवसर पर डाॅ. बुधिया ने अपने जीवन के बीतें दिनों को याद कर जिम्मेदारियों को साझा किया।
हमेशा मां से लें प्रेरणा-रितु
इस अवसर पर रितु पाण्डेय ने कहा कि महिलाओं को हमेशा अपनी मां से प्रेरणा लेना चाहिए, क्योंकि हर किसी के जीवन में मां सबसे अधिक कष्ट पाकर और संघर्ष करके बच्चों की परवरिश करती है। इसलिए जीवन में सबसे बड़ी पे्ररणा देने वाली मां ही हो सकती है। श्रीमती पाण्डेय ने बताया कि मेरे जीवन के जब जब संघर्ष व परेशानी का दौर आया मैं अपनी मां से ही प्रेरणा ली। श्रीमती पाण्डेय ने बताया कि साहस और संघर्ष की क्षमता महिलाओं में ही सबसे अधिक है। जरूरत है तो बस इस बात को महसूस करने की। श्रीमती पाण्डेय ने छात्राओं से कहा कि विश्वविद्यालय में सभी सुविधाएं है आप अधिक से अधिक इसका लाभ उठाएं और अपने जीवन में सफल हों। श्रीमती पाण्डेय ने सभी को विश्व महिला दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए आज जीवन का एक लक्ष्य तय करने के लिए संकल्प लेने की बात कही।
नारी का सम्मान नहीं राष्ट्र का सम्मान नहीं-डाॅ वीणा
इस अवसर पर सिम्स की सहायक प्राध्यापक डाॅ. वीणा मोटवानी ने कहा कि नारी का सम्मान न हो राष्ट्र का सम्मान नहीं हो सकता। उन्होनें बताया कि यदि नारी सम्मान घर में हो तो परिवार में सम्मान होगा और परिवार में सम्मान मिलेगा तो समाज भी सम्मान करेगी। जब समाज सम्मान करेंगा तो नारी राष्ट्र में भी सम्मानीत होगी। इसलिए सबसे पहले तो घर में ही नारी का सम्मान होना चाहिए। डाॅ.वीणा ने अपने जीवन की प्रेरणादायी बातें बताई जिससे छात्राओं ने प्रेरणा ली।
सशक्तिकरण के लिए मजबूत पाठ्यक्रम की जरूरत-डाॅ.पल्लवी
इस अवसर पर डाॅ. पल्लवी गिरी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण तब होगा जब कि महिलाएं घर,परिवार, बिना किसी से प्रभावित हुए अपने फैसले स्वयं लें। उन्होने कहा कि महिलाओं को अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। तभी हम सशक्तिकरण की बात को सच कर पाएंगे। डाॅ. पल्लवी ने कहा कि आज शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रम जोड़े जाने की जरूरत है जिससे सशक्तिकरण की सोच को मजबूत किया जा सके।