बिलासपुर— प्रश्न खनिज अधिकारी से करो..तो उत्तर रेत माफिया देता है। इन दिनों खनिज विभाग में ऐसा ही कुछ हो रहा है। खनिज अधिकारी से प्रश्न करने जाओ। रेत माफिया को पता चल जाता है। तात्काल उत्तर देने पहुंच जाता है। दरअसल खनिज अधिकारी और रेत माफियों की जबरदस्त जुगलबंदी है।
सीजी वाल की टीम जब खनिज अधिकारी से प्रश्न करने पहुंचा तो रेत माफिया खुद उत्तर देने के लिए पहुंच गया। दरअसल खनिज विभाग का काम अब अधिकारी कम अतुल सिंह और भूपेन्द्र जैसे लोग कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार खनिज विभाग ने सिर्फ 8 खदानों से ही रेत उत्खनन का आदेश है। लेकिन हो रहा है 16 से अधिक खदानों में। मजेदार बात यह है कि रेत माफिया अपनी खदानों से नहीं बल्कि आवंटित नहीं हुए खदानों से रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं।
प्रतिदिन एक खदान से सैकड़ों हाइवा रेत निकाला जा रहा है। रेत उत्खनन से तुर्काडीह की तरह अरपा वाल भी धसकने की कगार पर है। यहां अतुल सिंह अवैध उत्खनन कर रहा है। लेकिन खनिज अधिकारियों से इससे कोई लेना देना नहीं। उन्हें जेब भरने से फुर्सत नहीं है। मामले में खनिज विभाग और ठेकेदारों की मिली भगत की बात खुलकर सामने आ गयी है।
शहर के मध्य बहने वाली नदी अरपा के किनारें बसे कोनी, सेंदरी और रानीगांव से लेकर खरगहना तक कुल 26 रेतघाट हैं। पांच एकड़ या इससे कम क्षेत्र के रेत घाट को जिला प्रशासन ने रेत उत्खनन का आदेश दिया है। घाटों में उत्खनन के लिए आवेदकों को पर्यावरण मंडल से अनापत्ति पत्र लेने के बाद विभागों में आवेदन लगाना पड़ता है। इसके बाद जिला प्रशासन उत्खनन की अनुमति देता है। खनिज विभाग ने दो माह पूर्व उत्खनन के लिए आवेदन मंगाया था। आवेदनों की जांच के बाद जिला कलेक्टर ने आठ खदानों को लीज पर दिया है।
लीज मिलने के बाद ठेकेदार जेसीबी से उत्खनन कर रहे हैं। नियमानुसार जेसीबी से उत्खनन करना वर्जित है। इसकी वजह रेत के अतिरिक्त उत्खनन पर रोक लगाना भी शामिल है। बावजूद इसके प्रति दिन हाइवा, ट्रैक्टर और ट्रक से रेत का अंधाधुंध परिवहन हो रहा है।
आठ खदानों को लीज मिलने के बाद भी ठेकेदार अन्य खदानों से जिस तरह से उत्खनन कर रहे है इससे निश्चित ही विभाग के आंख बंद करके बैठने का अनुमान लगाया जा सकता है। कई रेतघाटों से उत्खनन होते देखा जा सकता है। विभाग इस मामले में कितना संवेदनशील है इसका अनुमान इसी से लगता है कि अवैध उत्खनन की शिकायत पर रेत ठेकेदार खुद दस मिनट के अन्दर जवाब देने के लिए खनिज विभाग पहुंच जाता है।
सीजी वाल की टीम ने खबर बनाने से पहले सभी खदानों पर पहुंचकर जाय़जा लिया। तो कई मामले सामने आये हैं। कछार में सिर्फ एक खदान से रेत उत्खनन की अनुमति मिली है। लेकिन वहां दोनों खदानों से रेत उत्खनन किया जा रहा है। चूंकि दूसरे खदान का रकवा काफी बड़ा है इसलिए उसकी अनुमति रायपुर से मिलेगी। बावजूद इसके भूपेन्द्र सिंह दो जेसीबी से रेत उत्खनन करवा रहे हैं। इसमें सरपंच और मजदूर ठेकेदार कमलेश सिंह का भी हाथ है।
गाइड लाइन के अनुसार शासन ने प्रति घनमीटर 20 रूपए रेत का दर निर्धारित किया है। एक ट्रैक्टर रेत की कीमत घाट से 60 रूपए, ट्रक की कीमत 120 रूपए और एक हाइवा रेत की कीमत 250 रूपए है। लेकिन कछार घाट का सरपंच ट्रैक्टर से 200,ट्रक से 250 और हाइवा का 350 रूपए प्रति ट्रिप लेता है। मजेदार बात तो यह है कि एक खदान की रायल्टी पर्ची ठेकेदार के सभी खदानों में काम करती है।
जानकारी के अनुसार कछार में रायपुर के किसी मंत्री के इशारे पर जिला प्रशासन का एक आलाधिकारी ने कछार में अपने चहेता जेसीबी लगाया है। यह अलग बात है कि यह जेसीबी सिर्फ एक महीने से खड़ी है। क्योंकि इस घाट पर भूपेन्द्र सिंह और कमलेश सिंह का राज चलता है। उनके इशारे के बिना यहां से कोई वाहन रेत नहीं ले जा रहा है।
टीएल बैठक के दौरान सीजी वाल की टीम ने जब मामले को कलेक्टर के संज्ञान में लाया तो बैठक में मौजूद जिला पंचायत सीईओं जे.पी.मौर्य ने अवैध उत्खनन और वसूली की बात को स्वीकार किया। उन्होने इसकी जानकारी पत्रकारों के सामने कलेक्टर को भी दी ।
छापामार कार्रवाई करेंगे
अवैध उत्खनन के सवाल पर कलेक्टर अनबलगन पी ने कहा कि छापामार टीम इस पर काम करेगी। टीम को सख्त निर्देश दिया जाएगा कि अवैध परिवहन और वसूली और उत्खनन को गंभीरता के साथ ले। अवैध रेत उत्खनन पर शिकंजा कसा जाएगा। साथ ही गाडिय़ों को भी जब्त किया जाएगा। सवाल जवाव के दौरान सीजी वाल ने बताया कि रेतमाफियों और खनिज अधिकारियों के बीच मिली भगत का खेल रहा है। शिकायत करने और सवाल पूछने के कुछ समय बाद ही ठेकेदार और रेत माफिया खनिज विभाग पहुंच जाते हैं। कलेक्टर ने कहा कि इस बात को गंभीरता से लिया जाएगा। कोई नहीं बख्शा जाएगा।