ये आकाशवाणी है–जहां कोई नहीं सुन रहा…एनाउंसर के “मन की बात”

Chief Editor
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announcerछत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के 5 स्टेशन हैं। रायपुर, जगदलपुर, अम्बिकापुर, बिलासपुर और रायगढ़। यहाँ  5 से 30 साल पुराने तक आकस्मिक उद्घोषक अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं। केंद्र सरकार की नीति आज तक इनके लिए कभी बनी ही नहीं है। महीने में 6 दिन के कॉन्ट्रैक्ट के आधार बरसों से, अपने जीवन के स्वर्णिम समय को रेडियो को देने के बाद आज 40-50-55 साल की उम्र वाले इन प्रस्तुतकर्ताओं से तीन चरणों मे परीक्षा ली जा रही है। लिखित परीक्षा psc स्तर की।इसमें पास होने वाले ऑडिशन और इंटरव्यू पास करेंगे तब उनकी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय आवाज़ उनके श्रोता सुन पाएंगे।यूँ भी इन आवाज़ों के मालिक अपने अधिकारियों से हमेशा प्रताड़ित होते रहे हैं, लेकिन इन दिनों इस रेस्क्रीनिंग से बचने, अपना सम्मान बचाने और अधिकार पाने के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा कासुअल अनोउन्सर्स और comperes को।
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                                               1500 लोग कोर्ट जाकर स्टे ले चुके हैं। पर हक़ मांगने का सिला ये कि इनको अकाशवाणी ने बुलाना ही बंद कर दिया। परीक्षा देने गए 20 साल पुराने लोगों को फेल कर दिया गया। सरकारी कर्मचारियों को सरकारी फण्ड से एक ही दिन में दो जगह से पैसे लेने का अधिकार दे दिया गया, बेरोजगारों को कोर्ट में जाने को मजबूर कर दिया गया। एक तरफ कौशल विकास में चंद महीनों के स्किल्ड लोगों को नौकरी देने की बात कही जाती है दूसरी तरफ 20 साल के स्किल्ड लोगों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया जा रहा है।

                                               एक तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अपनी बात लोगों तक पहुंचने के लिए इस रेडियो को अपना माध्यम बन रहे हैं, दूसरी तरफ यहाँ बरसों से जुड़े कलाकारों के मन की बात सुनने वाला कोई नही।देश की आवाज़ आकाशवाणी इन दिनों बहुत सी नई और फ्रेश आवाज़ों के साथ गलतियों के अंबार और क्वालिटी के अभाव में श्रोताओं से और भी दूर जाता जा रहा है।

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