यादों के झरोखे से:पुलिस ग्राउंड

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IMG-20160113-WA0006(केशव शुक्ल)शहर का पुलिस ग्राउंड गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए विशेष तौर पर पहचान जाता है ।करीब पांच एकड़ क्षेत्र में यह मैदान फैला हुआ है। यही वो मैदान है जहां आजादी के बाद बिलासपुर का प्रथम गणतंत्र दिवस का जश्न भी मना था।सन् 1873 में अंग्रेजों ने यहां जेल की स्थापना की थी।पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र में जेल के बैरक, जेलर और कर्मचारियों के आवास बनाए गए।तब सिटी कोतवाली ही एक मात्र पुलिस थाना यहां था।पुलिस विभाग के कर्मचारियों की परेड और चाँदमारी जहां जेल है उसके बाजू में खाली पड़ी जगह पर होती थी ।यह जगह भी करीब पांच एकड़ है ।यह जगह पुलिस ग्राउंड कहलाती है ।

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                    शहर में दूसरा राजा रघुराज सिंह का खेल मैदान भी स्वतंत्रता के पूर्व से है । रेलवे की स्थापना के बाद नार्थ इंस्टिट्यूट का तीसरा मैदान जीआरपी की परेड और चाँदमारी के लिए तैयार हुआ।देश की आजादी के बाद पहला गणतंत्र दिवस समारोह इस शहर में सिविल लाइन क्षेत्र के पुलिस ग्राउंड में 67 वर्ष पहले मना था। तब से हर वर्ष यहां दोनों राष्ट्रीय पर्व मनाए  जा रहे हैं। इस विशाल मैदान में शस्त्रागार औरपुलिस विभाग का आफिस ,बिलासा गुड़ी (सभाग्रह ) भी बन चुका का है।सेंट्रल जेल और पुलिस लाइन को मिलाकर लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में अब एक पेट्रोल पम्प भी पुलिस विभाग का हो स्थापित हो चुका है।

              सिविल लाइन स्थित पुलिस ग्राउंड के आसपास सन् 1873 में निर्जन स्थान था । ईसाईयों का मिशन सन् 1850 में भारत आया था और 20 -25 सालों बाद इस शहर में पहुंचा तो सिविल लाइन क्षेत्र में ही रहकर उसने अपनी गतिविधियां शुरू की थीं। इस इलाके में मुस्लिम समाज का ईदगाह भी स्थापित है। मिशन अस्पताल, मिशन स्कूल ,सिविल लाइन चर्च और ईदगाह के मध्य क्षेत्र में पुलिस ग्राउंड और जेल व्यवस्थित है।निर्जन स्थल आज गुलजार हो चुका है।1873 में शहर भी बहुत बड़ा नहीं था। गिने चुने मोहल्ले ही यहां थे ।इनमें जूनाबिलासपुर , गोंड़पारा ,खपरगंज ,मसानगंज ,चांटापारा , टिकरापारा आदि शामिल हैं।

                   IMG-20160126-WA0050पुलिस ग्राउंड की अहमियत नगर के खेल जगत के लिए भी पहले से ही रहा है ।रेलवे का ऍन ई  फुटबाल ,रघुराज सिंह स्टेडियम क्रिकेट , बैडमिंटनऔर पुलिस ग्राउंड हॉकी के मैदान के रूप में भी यहां के खेल जगत को पुष्ट करते चले आ रहे हैं।शहर का दशहरा उत्सव सहित अन्य शासकीय और सार्वजनिक आयोजनों का भी पुलिस ग्राउंड एक प्रमुख स्थल है।जब मैं सन् 1957 में नागो राव स्कूल में पढ़ना आरम्भ किया  था तब से इस पुलिस ग्राउंड में बच्चों का जुलूस बन कर जाता रहा हूँ।

          ये सारी बातें कुछ बुजुर्गों के मुंह से सुनी और कुछ देखी भाली ,अनुभव की हुई हैं।यादों के किसी कोने से झांकती हुई तस्वीरों को शब्दों में खींचने का प्रयास है।67 वें गणतंत्र पर्व पर यादों का यह एक झरोखा मात्र है।फोटो जितेंद्र सिंह ठाकुर से मिले हैं।

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