मौन हो गया गगनभेदी ठहाका…..

Chief Editor
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thahaka

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संत कवि पवन दीवान के निधन पर  वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्ढा ने अपनी कलम के माध्यम से श्रद्धा -सुमन अर्पित किए  हैं। अपनी भावनाओँ को उन्होने सोशल मीडिया पर साझा किया है। जिसे हम साभार प्रस्तुत कर रहे है-

प्राण चड्ढा का लिखा– 

संत कवि पवन दीवान का स्मृति शेष हो जाना,,[ विचार शक्ति के पुंज का बुझ जाना]
मैं युवा था तब से पवन दीवान जी का नाम ‘छतीसगढ़ भ्रात संघ’ के गठन के साथ सुना, फिर सन 1971  में गुरुदेव राम नारायण शुक्ल जी ने कालेज में काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया तब सुना ,, ”एक थी लड़की मेरे गाँव में ‘चंदा जिसका नाम था, थीं वो कली अनोखी लेकिन हर भंवरा बदनाम था ।।आज तक याद है,, फिर अग्रज पत्रकार महेंद्र दुबे जी राजिम से बिलासपुर आये तो मुझे उनके साथ काम कंरने का मौका मिला,,वो पवन दीवान जी के करीबी थे,, मेरी भी मुलाकात उनके,,माध्यम हो जाती ,,छतीसगढ़ राज्य स्थापना बाद अजीत जोगी जी के चुनाव प्रचार में पवन दीवान जी से मुलाकात हुई..! आज फेसबुक में भाई ललित शर्मा जी की वाल से पवन दीवान जी के नहीं रहने की जानकारी मिली लगा दोपहरी में सूरज अस्त हो गया है।
बीते मास कोरबा में छतीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन में पवनदीवान पधारे तब मेरे साथ कुछ देर बैठे पर कोई बात होती मंच पर आमंत्रित कर लिया गया ,, वो मंच पर चले गए , सभा में ताली पिटी तब मंच से आमंत्रित करने वाले ने कहा- जितनी आवाज आप सब की ताली की आई है,, उसे अधिक तो पवन दीवान के एक ठह्के की होगी,, सच है , उनकी बुलंद और दिल से निकली ये आवाज मंच- सभा सबमें ऊर्जा देती.. उनमें बसे कवि और कथा वाचन को चाहने वाले ये भी कह सकते हैं ,,उनको राजनीति में नहीं जाना था,, इस मत की भीड़ में कहीं मैं भी खड़ा मिलूँगा,,, बहुत दुःख है छत्तीसगढ़ इस प्रतिभा का सही लाभ न ले पाया ,, और एक गगन भेदी ठहाका,..मौन हो गया,,!

 

सन्त पवन दीवान की कविता जिसमें जीवन दर्शन निहित है-

सब होही राख ।
राखबे त राख ।
नई राखस ते झन राख़ ।
कतको राखे के कोसिस करिन नई राखे सकिन ।
में बतावत हंव तेन बात ल धियान म राख़ ।
तँहु होबे राख़ मनहुँ होहु राख़
सब  होही राख़ ।
तेकरे सेती भगवान संकर हा चुपर लेहे राख ।

प्राण चड्ढा ने अपनी ही खबर की प्रतिक्रिया,जो लिखा है वह भी जोड़ रहे है-

छतीसगढ़ राज्य की परिकल्पना को साकार करने संत कवि पवन दीवान ने कविताओ और कथा को माध्यम बना कर अलख जगाई । छत्तीसगढ़ भ्रात संघ में उनकी अहम भूमिका ने सात के दशक में युवको को एक सूत्र में पिरो दिया । उनकी वाणी और कर्म में विभेद न था उनकी गगन गूंजने वाली हंसी किसी अमीर के नसीब में कभी नहीं हो सकती । उसके लिए पवन दीवान सा पाक साफ ह्रदय चाहिए जो विरले के पास ही होता है।
आज पवन दीवान ने सबको विदा कह दिया – उनका अफसाना खत्म न होगा कभी पर ये बात भी सही ..
कहने को साथ चले थे तमाम लोग ।
लेकिन सफर में दोस्त,मैं तन्हा रह गया ।

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