(सत्यप्रकाश पाण्डेय)13 साल विकास के, बढ़ते हुए विश्वास के।ये स्लोगन छत्तीसगढ़ सरकार ने सत्ता पाने की 13 वीं सालगिरह मनाते हुए दिया। सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में डोम सजाये गए। विकास की गौरव गाथा का शोर उस मैदान से निकलकर टाउन हाल तक पहुंचा। यहां सरकार ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमन्त्री अटल विहारी बाजपेयी के जन्मदिवस को सु-शासन दिवस के रूप में मनाया और कलेक्टोरेट के बगल में जनसंपर्क विभाग के जरिये सु-शासन फोटोप्रदर्शनी लगाकर सत्ता के मठाधीशों ने सिर्फ विकास को दिखाने की कोशिश की जिसे तस्वीरों से बाहर खोज पाना थोड़ा मुश्किल सा लगता है।
छत्तीसगढ़ में विकास की धारा का बहाव इतना तेज़ है कि अल्प वर्षा में भी विकास कार्य बहे जा रहे हैं। ताज़ा मामला बिलासपुर ज़िले के कोटा ब्लॉक का है जहां बेलगहना से लगे ग्राम चांटापारा में अरपा नदी में 7. 5 करोड़ की लागत से बने 9 गेट वाले एनीकट के चार गेट पिछले साल कम वर्षा के बावजूद बह गए थे । सिंचाई विभाग ने इस मामले में जमकर लीपापोती की । अगस्त 2013 में अपनी विकास यात्रा के दौरान कोटा आये प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने अनेक योजनाओं के साथ साथ इस एनीकट का भी लोकार्पण किया था। आज इस एनीकट का हाल ये है कि अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम फ्लोरिंग का नामों निशान नहीं है।
छत्तीसगढ़ में विकास की धारा का बहाव इतना तेज़ है कि अल्प वर्षा में भी विकास कार्य बहे जा रहे हैं। ताज़ा मामला बिलासपुर ज़िले के कोटा ब्लॉक का है जहां बेलगहना से लगे ग्राम चांटापारा में अरपा नदी में 7. 5 करोड़ की लागत से बने 9 गेट वाले एनीकट के चार गेट पिछले साल कम वर्षा के बावजूद बह गए थे । सिंचाई विभाग ने इस मामले में जमकर लीपापोती की । अगस्त 2013 में अपनी विकास यात्रा के दौरान कोटा आये प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने अनेक योजनाओं के साथ साथ इस एनीकट का भी लोकार्पण किया था। आज इस एनीकट का हाल ये है कि अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम फ्लोरिंग का नामों निशान नहीं है।
9 गेट वाले इस एनीकट के चार गेट अरपा की क्षीण धारा भी नहीं झेल पाये और धराशायी हो चुके थे। हालांकि शोर मचने और भ्रष्टाचार की परते खुलने के भय से अधिकारीयो आने ठेकेदार से सांठ-गांठ कर इस एनीकट के 4 बहे गेट फिर से बनवा दिए लेकिन इस एनीकट के पास ही अपनी बकरियां चरा रहे मोहम्मद अब्बास बताते हैं कि जबसे ये एनीकट बन रहा था तब से ही इसकी नींव के नीचे से पानी रिस रहा था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। एनीकट बनने के बाद कट ऑफ वाल के नीचे ये रिसाव बढ़ता चला गया और इस साल बरसात के आते ही एनीकट का एक हिस्सा बैठ गया, अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम फ्लोरिंग तो पहले साल ही बह गयीं थी।
जानकारों का कहना है कि यदि एनीकट के नीचे से पानी बह रहा हो तो एनीकट में पानी रुकने का सवाल ही नहीं पैदा होता। पानी रोकने के लिए एनीकट में जरूरी डायफ्राम वाल या तो बनायीं ही नहीं गयी है या मापदंडों के अनुरूप नहीं बनायीं गयी होगी? बहरहाल चांटापारा एनीकट अपनी बदहाल अवस्था में पड़ा सिंचाई विभाग में व्याप्त भ्रष्ट्राचार की कहानी बयान कर रहा है और इस विभाग के बदहवास अधिकारी इस पूरे प्रकरण में लीपा-पोती करने में जुट गए हैं।