बिलासपुर— लम्बी बहस और निगम में उठापटक के बाद आखिर कार बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल ही गया। जैसे ही सूचना मिली कि बिलासपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की हरी झण्डी मिल गयी है। भाजपा नेताओं ने जहां इसे अपनी जीत बताया है तो वहीं कांग्रेस ने इसे अपनी जीत बताते हुए कहा कि आखिर नगरनिगम पन्द्रह हजार करोड़ कहां से लाएगा। बहरहाल राज्य सरकार के बिलासुपर को स्मार्ट सिटी घोषणा के बाद नगरवासियों में मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है।
राज्य सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी घोषणा के बाद नगर निगम कांग्रेस पार्षदों ने बताया कि कांग्रेस की लगातार दबाव की नीतियों की जीत है। कांग्रेस के लगातार आंदोलन से केन्द्र और राज्य सरकार को जनता की मांग के सामने झुकना पड़ा है। जिसका नतीजा है कि केन्द्र सरकार ने बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाने घोषणा की है।
निगम कांग्रेस पार्षद दल के नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि बिलासपुर के स्म्रार्ट सिटी बनने से यहां रहने वाले सभी लोगों को फायदा होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि स्मार्ट सिटी बनाने में जो व्यय होगा वह आएगा कहां से। शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पन्द्रह हजार करोड़ रूपए की जरूरत होगी। अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इतने बड़े फण्ड की व्यवस्था कौन करेगा। केन्द्र सरकार के शर्तों के अनुसार स्मार्ट सिटी के कुछ मापदण्ड हैं। किस मापदण्डों को ध्यान में रखकर बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का तोहफा दिया गया है। यह समझ से परे हैं। स्मार्ट सिटी बनने की घोषणा के बाद शैलेन्द्र ने बताया कि इस समय नगर निमग चालिस करोड़ रूपए के भारी घाटे में है। हमे खुशी है कि बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला। लेकिन चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं चोरी छिपे भाजपा सरकार फण्ड हासिल करने के लिए निमग के निवासियों पर अतिरिक्त कर थोपने की तैयारी तो नहीं कर रही है। यदि ऐसा होगा तो हम इसका विरोध करेंगे।
शैलेन्द्र ने बताया कि स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलते ही केन्द्र और राज्य से मिलने वाला फण्ड बंद हो जाएगा। हमारे पास कोई बहुत बड़ी उपलब्धि भी नहीं है कि हम अन्य श्रोतों से पन्द्रह सौ करोड़े की व्यवस्था करें। हमारे पास जो भी उपलब्धि है वह गांवों में है। हाईकोर्ट,केन्द्रीय विश्वविद्यालय कानन पेण्डारी,एसईसीएल, हवाई पट्टी सब कुछ गांव के हिस्से में है। उन्होंने बताया कि जब तक 29 गांवों को शहर में शामिल नहीं किया जाएगा तब तक स्मार्ट सिटी एक छलावा मात्र है। उन्होंने बताया कि सरकार स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सिर्फ पांच सौ करोड़ रूपए ही देगी। इतने में क्या होगा।
स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा से अतिउत्साहित महापौर किशोर राय ने बताया कि हमारी जीत हुई है। हम हर सूरत में बिलासपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाएंगे। स्मार्ट सिटी का विरोध करने वाली कांग्रेस अब श्रेय लेने के लिए आगे आ गयी है। जनता मतलब परस्तों को अच्छी तरह से पहचानती है। रही बात फण्ड की तो हम जानते हैं कि फण्ड कहां से आएगा। कैसे आयेगा। कांग्रेस को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। रही बात 29 गावों को शामिल करने की तो हमें मालूम है कि शहर को स्मार्ट बनाने के लिए क्या करना है।