बिलासपुर का “पानी उतारने” की साजिश–भाग चार

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160420_113712 IMG_20160416_144429 बिलासपुर– बिलासपुर चारो तरफ से कोल व्यापारियों से पूरी तरह जकड़ा हुआ है। उत्तर से दक्षिण,पूरब से पश्चिम तक लहलहाते खेत अब गायब हो चुके हैं। उनके स्थान पर बड़े बड़े कोल प्लांट ने जगह बना लिया है। हवाओं में जहर घोल दिया है। गांव के गांव का पानी उतार दिया गया है। बिलासपुर के पश्चिम में लोखण्डी और आस पास के गांव कोल व्यापारियों का गढ़ बन गया है। प्रवीण झा, रामअवतार अग्रवाल, सना भाटिया,ड़ॉ विशाल जैन के कोल प्लांट ने लोगों के नाक में दम कर दिया है। खेतों में कोयले की मोटी परत जम गयी है। चार हाथ में पानी देने वाला गांव अब चालिस हाथ की खुदाई के बाद पानी के लिए मोहताज है। गांव की पीड़ा को कोई सुनने को तैयार नहीं है। हमने अपने पहली दूसरी और तीसरी कड़ी में प्रवीण झा,रामअवतार अग्रवाल के कोल प्लांट के बारे में बताया था कि किस तरह बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश हो रही है।

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                              लोखण्डी और हांफा के बीच रामअवतार अग्रवाल का छत्तीसगढ़ पावर कोल बेनिफिकेशन लिमिटेड प्लांट ग्रामीणों और व्यवस्था का मुंह चिढ़ाते हुए खड़ा है। गांव के लिए पानी हो या ना हो लेकिन कोयले के पहाड़ को दिनभर जलाभिषेक किया जाता है। पानी कुछ इस तरह बहाया जा रहा है कि कोयले से निकला पानी पास के खेत में इकठ्ठा हो गया है। जबकि इस भीषण गर्मी में गांव के सभी तालाब सूख गये हैं। खेत मालिक ने बताया कि खेत में एकत्रित किसी काम लायक नहीं है। प्लांट ने हमारे खेत को बंजर बनाकर रख दिया है। हवा में जहर घोल दिया है। हमने प्लांट का विरोध किया था। लेकिन सुनने वाला है ही कौन। यहां कभी पौधे हुआ करते थे। अब पर्यावरण के नाम पर कुछ प्रायोजित झाड़ियों को रोप दिया गया है।

              IMG-20160430-WA0039रामअवतार अग्रवाल बिलासपुर के लिए सम्मानित नाम है। सीपीसीबीएल के मालिक हैं। सिरगिट्टी में उनकी कोलवाशरी है। ठीक हाईकोर्ट के मुहाने पर। वैसे यह प्लांट बहुत पुराना है। जाहिर सी बात है कि इसका प्रभाव भी आस पास के गांव पर पुराना होगा। यद्यपि प्लांट को तीन बार हटाने का प्रयास ग्रामीणों ने किया। लेकिन रसूख के आगे किसी की कुछ नहीं चली। जानकारी के अनुसार सिरगिट्टी के जिस क्षेत्र में सीपीसीबएल कोलवाशरी है वह नियम विरूद्ध है। लेकिन समर्थवान के लिए सब सही है।

                      सीपीसीबीएल कोलवाशरी ने आस पास के रौनक को बेनूर कर दिया है। यहां..रोजना लाखों टन कोयला वाश होता है। बड़े बड़े उद्योगपतियों का जेब भरा जाता है। लेकिन वाशरी से निकलने वाला पानी परसदा और और आस पास के गांव की जमीन को बंजर और किसानों को कंगाल बना दिया है।  विधायक,जिला और जनपद प्रतिनिधि कोलवाशरी के दुष्परिणामों को जानते हुए भी शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गाड़कर बैठें हैं। उन्हें केवल अपनी जेब की चिंता है। यदि ग्रामीणों की चिंता होती तो आज सीपीसीबीएल सिरगिट्टी में नहीं होता।

                                  पर्यावरण विभाग के रसायनज्ञ एस.के दीवान ने बताया कि हमने दो से तीन बार ग्रामीणों की मांग और पर्यावरण के मद्देनजर सीपीसीबीएल को प्लांट हटाने को कहा था। लेकिन हम सफल नहीं हो पाए। प्लांट काफी पुराना है। आबादी बढ़ने के साथ ही अब IMG_20160420_132618वाशरी से खतरा बढ़ गया है। एस.के दीवान ने बताया कि सिरगिट्टी का पर्यावरण कोलवाशरी से दुषित हुआ है। हमारे आदेश के बाद प्लांट की दीवार को ऊँचा कर दिया गया । लेकिन उन्होने नहीं बताया कि कोल परिवहन के समय सीपीसीबीएल नियमों का पालन होता है या नहीं।

                                       दीवान के अनुसार हमारी जिम्मेदारियों में यह सब शामिल नहीं है। लेकिन यह सच है कि सीपीसीबीएल कोलवाशरी क्षेत्र वासियों के लिए भविष्य में समस्या बन सकता है। दीवान के अनुसार एक बार प्लांट मालिक वाशरी को कहीं अन्य जगह पर ले जाने का मन बना लिया था। लेकिन फिर क्या हुआ हमें नहीं मालूम। दीवान ने कहा कि सीपीसीबीएल पर्यवारण को लेकर सजग है। हमारे नियमों का पालन करता है।

                                  सीजी वाल की टीम ने सिरगिट्टी स्थित कोल वाशरी प्लांट पहुंचकर मैनेजर से बातचीत करने का दो तीन बार प्रयास किया। लेकिन हर बार बस यही जवाब मिला कि कल आओ,परसों आयो,फिर कभी बात कर लेंगे। उन्होने फोन पर बताया कि पर्यावरण का हम लोग विशेष ध्यान रखते हैं। चूकि कोयले का काम है पानी तो लगेगा ही। दूषित पानी से किसी को नुकसान नहीं हो रहा है।

आवासीय परिसर की दुर्दशा

IMG_20160416_145758                  कोलवाशरी से लगकर छत्तीसगढ़ गृहनिर्माण मंडल का आवासीय परिसर है। जिन्होने घर बुक करवाया था आज वे सभी लोग खून की आंस बहा रहे हैं। सैकड़ों मकान…मालिकों के हाथ में पहुंचने से पहले ही खंडहर होने लगे हैं। मकानों पर कोयले की कई परत जम चुकी है। अब कोई यहां आना नहीं चाहता है। जो हैं भी वह दिनभर लांड्री की तरह कपड़ा सफाई में व्यस्त रहते हैं। वाशरी से कुछ दूर व्हीआईपी लोगों का भी निवास है। प्रायवेट सेक्टर की बिल्डिंगों में रहने वालों ने बताया कि यहां कोयले का प्रभाव कुछ कम है लेकिन सुबह दो तीन ग्राम बलगम के साथ कोयला अन्दर से बाहर आ जाता है। प्रभाव है लेकिन बहुत कम है। तिफरा सब्जी मण्डी के व्यापारियों ने बताया कि कोलवाशरी के डस्ट का हम पर भी असर है। लेकिन जितना आवासीय परिसर पर है उसकी तुलना में हम लोगों का दर्द कुछ भी नहीं है।

आबादी को खतरा

                                 पर्वारण विभाग के अधिकारी ने बताया कि सीपीसीबीएल क्षेत्र में काफी पुराना कोल उद्योग है। 1996 में स्थापित किया गया था। जब यहां कोई नहीं आना चाहता था। अब वहां की आवादी बढ़ गयी है। व्यापारिक रूप से भी वहां कोलवाशरी ठीक नहीं है। रामअवतार को सरकार ने वाशरी स्थापित करने का कानूनी हक दिया है। हम क्या कर सकते हैं। लोगों के विरोध और जनहित को ध्यान में रखते हुए हमने कई बार वाशरी हटाने का प्रयास किया। एक बार तो लगभग तय हो चुका था कि सीपीसीबीएल कहीं और प्लांट लगाने को तैयार है। लेकिन योजना खटाई में पड़ गयी। जनता की लगातार शिकायत मिलती है। लेकिन हम पर्यवारण संबधित गतिविधियों के अलावा कुछ भी नहीें कर सकते हैं। जो भी करना है प्रशासन को करना है।

IMG_20160416_150011                                          पर्यावरण अधिकारी ठाकुर ने माना कि पहले यहां कम मात्रा में कोयला स्टोर होता था। समय के साथ स्टोरेज क्षमता में इजाफा हुआ है। सीपीसीबीेल एक मिलियन टन कोयला स्टोर कर सकता है। कोयले से लगातार धुंआ उठता है..जो कभी भी खतरे का सबब बन सकता है। रही बात पानी की तो कोलवाशरी में पानी का ही खेल है..इस पर हम क्या कर सकते हैं। शासन ने आदेश दिया है कि पानी का दुरूपयोग ना हो उसे समय-समय पर मानिटरिंग करनी चाहिए।

कोयले वालों ने किया जीना हराम

              परसदा आवासपारा के लोगों ने बताया कि कोयला वालों की हमारी परेशानियों से क्या लेना देना। विधायक वोट लेकर चला गया..उसका रिश्तेदार जिला पंचायत चुनाव के समय कोलवाशरी हटाने को कहा था। कोलवाशरी से निकलने वाले ओव्हर लोड हाइवा ने मनरेगा की सड़क का सत्यानाश कर दिया है।  मनहरण कौशिक ने तो वादा किया था कि चुनाव जीतते ही यहां से हाइवा को गुजरने नहीं देंगे। लेकिन हुआ उल्टा। सरपंच भी बिका हुआ है। प्रशासन के सामने अपनी बातों को कई बार रखा लेकिन सारे प्रयास ढाक के तीन पात साबित हुए। अब विरोध करने में भी डर लगता है। पुलिस वाले खदेड़ देते हैं।

                              आवासपारा के लोगों ने बताया कि मनरेगा की सड़क स्थानीय लोगों के निस्तारी के लिए बनाया गयी है। लेकिन यहां से रोजना 150 से अधिक हाइवा एक के बाद एक ओव्हर लोड कोयले का निर्वाध परिवहन कर रहे हैं। हमेशा हादसा होने की चिंता रहती है। स्कूल जाने वाले बच्चों के कपड़े काले हो जाते हैं। घर से रोज एक किलों धूल और कोयला निकलता है। पीने के पानी में कोयला तोहफे में होता है। हम अपनी परेशानी रखें तो कहां रखें। न्याय गरीबों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

IMG_20160504_112857                       मालूम हो कि दाधापारा रेलवे के पैरलल मनरेगा की सड़क है। इसी सड़क से साइडिंग के लिए लाखों टन कोयला सीपीसीबीएल का जाता है। शिकायत के बाद भी परिवहन विभाग ओव्हर लोडिंग की जांच नहीं करता । तालाब का पानी कोयले और सड़क के धूल से काला हो चुका है। जबकि गांव का यह गांव का एक मात्र निस्तारी तालाब है।

                                                 बहरहाल सीपीसीबीएल का लोखंडी से लेकर सिरगिट्टी तक पर्यावरण और कलेक्टर आदेश का जमकर माखौल उडा रहा है। जल स्तर गिरे तो गिरे लेकिन कंपनी को सिर्फ अपने लाभ की चिंता है। लोखंड़ी के कोल प्लांट में हजारों गैलन पानी से कोयले के पहाड़ का जलाभिषेक किया जा रहा है। सिरगिट्टी कोलवाशरी में पानी बेशरमी के हद तक उपयोग किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि शासन को इसकी खबर नहीं है। लेकिन कोई करे तो क्या करे…क्योंकि यहां तो लोग बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश से बाहर निकलने को तैयार नहीं है।

                                        जारी है…..

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