बिलासपुर—केन्द्रीय जेल में विचाराधीन कैदी की संदिग्ध मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। कैदी का नाम जीवनलाल मनहर है। जीवनलाल को सेवती गांव से 4 सितम्बर को गिरफ्तार कर जेल लाया गया था। जीवनलाल मनहर के खिलाफ गांव के ही एक तालाब में बेजा कब्जा के मामले में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई थी।
सेवती गांव निवासी जीवनलाल मनहर जीवन लीला समाप्त हो गयी। वह भी उस धारा के तहत् जिसमें जेल भेजने का प्रावधान ही नहीं है। बावजूद इसके एसडीएम बिल्हा ने अपने रसूख का उपयोग करते हुए एक मामूली से मामले में जेल भेज दिया। कानून के अनुसार 107/16 की धारा में मामूली अर्थदण्ड का प्रावधान है। ना कि जेल भेजने का। बावजूद इसके ग्रामीणों पर खौफ बनाए रखने एसडीएम बिल्हा ने वादी को समझाइश और अर्थदण्ड देकर मुक्त कर देना था। लेकिन एससडीएम अर्जुन सिंह सिसोदिया ने अर्थदण्ड के वजाय जीवन लाल को जेल भेज दिया। जहां उसकी आज संदिग्ध मौत हो गयी है।
मृतक जीवन लाल के परिजनों ने एसडीएम अर्जुन सिंह सिसोदिया और बाबू पर जमानत को लेकर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि यदि बेजाकब्जा पर पचास हजार रूपए जुर्माना है तो गांव के अधिकांश आबादी बेजाकब्जा पर बसा हुआ है। सरपंच पति केवल जीवन लाल के पीछे ही क्यों पड़ा था। सरपंच पति ने पुलिस और एसडीएम के साथ मिलकर किसी साजिश के तहत जीवन लाल को जेल भेज दिया।
बिलासपुर केन्द्रीय जेल में बेजाकब्जा मामले में 107/16 का आरोपी जीवन लाल मनहर की संदिग्ध हालत में मौत हो गयी। जीवन लाल की लाश को आनन-फानन में सिम्स लाया गया। यहां भी पोस्टमार्टम के लिए परिजनों का लंबा इंतजार करना पड़ा। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम ने पोस्टमार्टम की विडियाग्राफी का निर्देश दिया था। तहसीलदार के देर तक ना पहुंचने के कारण परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ा। परिजनों से सीजी वाल से बताया कि एसडीएम बिल्हा जमानत के एवज में 50 हजार रूपए मांग रहे थे। जबकि वे इतनी बड़ी राशि देने में असमर्थ थे।
मृतक के परिजनों के अनुसार एसडीएम के बार-बार पैसे की मांग से जीवनलाल मानसिक रूप से प्रताड़ित हो गया था। जानकारी के अनुसार जीवनलाल के सिर के पीछे कुछ चोट के निशान मिले हैं। जो मामले को ज्यादा संदिग्ध बनाता है। फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए सिम्स अस्पताल लाया गया है। आलाधिकारी मामले में जांच कर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।