न्यायाधीशों का काम एक तपस्या है-टी.एस.ठाकुर

Shri Mi
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rsthakurबिलासपुर। न्यायाधीश अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहें और अपने अधीनस्थों में भी इसका विशेष ध्यान रखें। जिससे कि न्यायिक व्यवस्था के प्रति लोगों में आस्था बनी रहे। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर ने आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आयोजित छत्तीसगढ़ के न्यायाधीशों की राज्य स्तरीय कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में अपने विचार व्यक्त किये।

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                                             न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि न्यायाधीशों का कार्य सुनने का भी होता है। ताकि संबंधित पक्षकारों को कोई परेशानी न हो। फैसले में संख्या के बजाय गुणवत्ता जरूरी है।न्यायमूर्ति ने कहा कि फैसला लिखने का कार्य सावधानीपूर्वक करें। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीशों एवं वकीलों को पढ़ना-लिखना जरूरी है। ताकि उनके कार्य में सुधार आये। जो नई बातें सामने आती है, उसे जरूर लिखें।

                                            न्यायमूर्ति ने कहा कि न्यायाधीशों का कार्य एक तपस्या है। यह आजीविका के लिए नहीं बल्कि काम करने के लिए है। प्रयास करें कि किसी के साथ नाइंसाफी न हो। न्यायमूर्ति श्री ठाकुर ने बताया कि देश में 3 करोड़ प्रकरण लंबित हैं।

                                            लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए अपेक्षा के अनुरूप न्यायाधीश नहीं है। उन्होंने कहा कि लंबित प्रकरणों के निराकरण में तेजी लाएं। ताकि जरूरतमंद लोगों को समय पर न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से न्यायाधीशों एवं वकीलों को अपने कार्य में सुधार लाने में सहयोग मिलेगा। सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे ने अपने संबोधन में कहा कि चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया के आगमन से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है।

                                       अभय ने कहा कि न्याय में गुणवत्ता और शुद्धता होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने कहा कि कार्यशैली और कानून के अनुसार कार्य करें, ताकि लोगों की अपेक्षाएं पूरी हो सके।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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