बिलासपुर—घुरू अमेरी का आधा गांव सांई चिटफन्ड के खिलाफ जनदर्शन में फरियाद की है। पीडि़त लोगों ने बताया कि पच्चीसों लाख रूपए की सांई चिटफण्ड ने ठगी की है। एजेन्ट ने भी हाथ उठा दिया है। महिलाओं ने बताया कि मेहनत की कमाई को सरकार दिलाए। क्योंकि चिटफन्ड को लाया भी सरकार ने ही है। अन्यथा हम लोग के सामने मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
घुरू अमेरी का आधागांव कलेक्टर का दर्शन कर साँई चिटफण्ड कंपनी पर लाखों रूपए के धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। पीड़ितों ने बताया कि साई प्रसाद चिटफण्ड कंपनी के खिलाफ उन्होने चकरभाटा थाने में भी शिकायत की है। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सांई प्रसाद से ठगी की शिकार संतोषी ने बताया कि बीस हजार रूपए जमा किये थे। हर महीने पति से छिपामकर पाई पाई कर चिटफन्ड में जमा किया। चिटफन्ड कंपनी ने फार्म भरवाया। कम्पनी के मैनेजर और एजेन्ट ने कहा था कि पांच साल बाद जमा रकम का तीन गुना हो जाएगा। लेकिन चिटफन्ड कंंपनी बिना रूपए दिए भाग गयी। एजेन्ट ने हाथ खड़ा कर दिया है।
नरेश और अनीता की भी कहानी कुछ इसी तरह की है। नरेश ने बताया कि सांई चिटफन्ड कम्पनी का एजेन्ट अब मजदूरी करता है। उसी ने बताया कि कंपनी भाग गयी है। नरेश के अनुसार ढाई साल साल में दो लाख रूपए जमा किये हैं। अब तीगुना रकम तो दूर मूलधन का मिलना मुश्किल है।संजू कौशिक ने बताया कि उसने एक लाख रूपए जमा किये। रूपए निकलवाने की कोशिश की तो कंंपनी मैनेजर ने रूपए निकालने से मना कर दिया। अच्छा होता कि मैनेजर की बात को नहींं मानता। अब लोग बता रहे हैं कि कंपनी को सरकार ने बंद कर दिया है। इसलिए हम लोग सरकार से पैसा मांगने आए हैं।
सत्या कश्यप ने चिटफन्ड कम्पनी में करीब 75 हजार रूपए जमा किये । सत्या ने कहा कि अब शासन ही पैसा दिलाए। क्योंकि कंपनी जब फर्जी थी तो खुलते समय कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। साई चिटफन्ड कंपनी की शिकार ज्ञानेश्वरी सूर्यवंशी,सुरेन्द्र सूर्यवंशी और रामकली ने बताया कि हम भोले भाले लोग हैं। असली और नकली जानकारी नहींं होती। रूखा सूखा खाते हैं। पेट काटकर पैसा जमा करते हैं। जब कंंपनी ने काम शुरू किया तो पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ठगों को जेल के भीतर डाले। यदि सरकार ने चिटफन्ड कम्पनी को खुलने नहीं दिया होता तो हम ठगी का शिकार भी नहीं होते।
अंबिका कश्यप,महेश कौशिक ने भी कलेक्टर से मिलकर रूपयों की गुहार लगाई। दिलीप,सरेश,विरेन्द्र ने जनदर्शन में बताया कि मेहनत की कमाई को वापस दिलाया जाए। चिटफन्ड वालों को जेल में डालने से रूपया तो वापस नहीं होगा। पहले हमारा रूपया वापस किया जाए। इसके बाद सरकार को जो करना है करे।
ग्रामीणों ने बताया कि कलेक्टर ने मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम लोग रूपए वापस लेने के लिए जो कुछ बनेगा करेंगे। लेकिन अपने गांव में किसी अधिकारी या नेता को घुसने नहींं देंगे। क्योंकि इन लोगों का कहीं ना कहीं फर्जी कम्पनियों से सांठ गांठ है।