बिलासपुर— बिलासपुर शहर के सीमान्त में कोलवाशरी और कोल डिपो की भरमार है। अवैध कोलडिपों भी जमकर चल रहे हैं। यद्पि इनके खिलाफ पुलिस ने जमकर कार्रवाई कि लेकिन अवैध कोलडिपो ने घास की तरह एक बार फिर पैर जमा लिया है। इसी तरह कोलवाशरी भी नियमों की धज्जियां उड़ाकर व्यवस्था को पंगु बना दिया है। कोलवाशरी मालिक अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं।
कोलवाशरी में किसी भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। क्षमता से अधिक कोयले के परिवहन से सड़़कों की हालत बद से बदतर हो गयी है। जब पानी को लेकर त्राहि त्राहि हो… ऐसे समय में कोलवाशरी में पानी को मिट्टी के मोल खर्च किया जा रहा है। इन पर प्रशासन की नजर क्यों नहीं है। सीजी वाल का प्रयास है कि बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश में इन कोलवाशरी की भूमिका को सबके सामने लाये।
बिलासपुर शहर के उत्तर दक्षिण,पूरव पश्चिम मतलब चारो दिशा में कोलवाशरी हैं। क्या ग्रामीणों ने कभी कोलवाशरी को लेकर विरोध किया। यदि किया तो कोल वाशरी को किसने स्थापित करने में सहयोग दिया। कोलवाशरी को स्थापित करने में क्या क्या हथकंडे अपनाए गए। इन प्रश्नों के उत्तर को सीजी वाल अपने समाचार बिलासपुर का पानी को उतारने की साजिश में सबके सामने लायेगा। इन कोलवाशरी को पर्यावरण को क्या नुकसान हो रहा है। रपट के जरिए जानकारी लोगों को दी जाएगी।
सीबीसीपीसीएल कोलवाशरी हो या फिर फिल कोलवाशरी, महेश्वरी कोल वाशरी हो या फिर हिन्द कोल बेनिफिकेशन। कोलवाशरी स्थापित होने के बाद ग्रामीणों और पर्यावरण को क्या कीमत चुकानी पड़ रही है। सीजी वाल अपने पाठकों को बताएगा। विरोध के बाद आखिर कोलवाशरी को किसने सैटल किया। कहानी जानने के लिए पढ़ें…सीजी वाल की रपट ..”बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश” … जल्द ही शुरू होगा
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