कोरिया जिले में एग्रीकल्चर कॉलेज का शिलान्यास

Chief Editor
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बैकुंठपुर । छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने बुधवार को कोरिया जिले के ग्राम सलका में 10 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले कृषि महाविद्यालय भवन एवं बालक और बालिका छात्रावास भवन की आधारषिला रखी। राज्यपाल श्री टंडन ने इस अवसर पर आयोजित किसान बागवानी मेला सह-संगोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे आधुनिक कृषि तकनीक अपनाते हुए एक वर्ष में दो-तीन फसल लेकर आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने कहा कि इस किसान मेले के माध्यम से किसानों को कृषि संबधी नवीनतम एवं उपयोगी जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिससे किसान अधिक जागरूक बनेंगे। उन्होनें कहा कि यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ तेजी से विकास की ओर आगे बढ रहा है। छत्तीसगढ में कृषि के विकास के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को शून्य प्रतिषत ब्याज दर कृषि ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है तथा यहां बिजली की भी पर्याप्त उपलब्धता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे केवल धान की खेती पर निर्भर नहीं रहें, बल्कि धान के साथ ही दलहन-तिलहन और उद्यानिकी की ओर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि खेती के साथ ही पशुपालन, मछली पालन आदि को समन्वित ढंग से किसान अपनायें तभी वे आत्मनिर्भर हो सकेंगे और अपनी पारिवारिक तथा सामाजिक दायित्व का बेहतर निर्वहन कर सकेंगे।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि सन् 1965 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया था। किसानों ने भी इस नारे को चरितार्थ करने में कोई कसर नही छोड़ी और आज भारत अन्य देषों को अनाज की आपूर्ति करने में सक्षम है। राज्यपाल ने किसानों से कहा कि वे कृषि विज्ञान केन्द्रों से सतत् सम्पर्क में रहें है और वहॉ से नवीनतम जानकारी लेकर उसे खेती में अपनायें। उन्होनें किसानों से कहा कि वे अपने बच्चों को अवष्य स्कूल भेजें ताकि वह पढ-लिखकर इंटरनेट के जरिए कृषि की नवीनतम जानकारी अपने परिवार को दे सकें, जिससे और बेहतर ढंग से कृषि कार्य हो सकें। इसके पहले राज्यपाल ने किसान बागवानी मेला का अवलोकन भी किया।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज कोरिया जिले में कृषि विकास के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होनें कहा कि आज यहॉ कृषि महाविद्यालय के साथ ही बालक एवं बालिका छात्रावास भवन की आधार शिला रखी गई है। उन्होंने बताया कि आज छत्तीसगढ़ में कृषि, षिक्षा के प्रति लोगों का रूझ्ाान बढने लगा है। पहले छत्तीसगढ़ में केवल चार कृषि महाविद्यालय थे, जो बढ़कर अब 30 हो गये हैं। पहले यहॉ 400 विद्यार्थी कृषि की षिक्षा लेते थे जो अब बढ़कर 2 हजार हो गये हैं। इसी तरह पहले यहां सात कृषि विज्ञान केन्द्र थे जो अब बढ़कर 20 हो गये है। श्री अग्रवाल ने कहा कि किसान सबसे बडा कृषि वैज्ञानिक है। फिर भी उन्हें समय-समय पर सलाह दी जानी चाहिए। उन्होंने किसानों से कहा कि वे अपनी जमीन का बारहों माह खेती में उपयोग करें। कृषि मंत्री ने कहा कि यह गौरव की बात है कि धान के सर्वाधिक उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ को तीन बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
श्रम, खेल, युवा कल्याण और जन षिकायत मंत्री  भईयालाल राजवाड़े ने कहा कि कोरिया जिले के लिए आज का दिन अच्छा है। इस किसान बागवानी सम्मेलन के माध्यम से कृषकों को नई-नई जानकारी मिलेगी। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विष्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एस.के पाटिल ने बताया कि आज ही दिल्ली से यह सूचना मिली है कि कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बिकापुर को सर्वश्रेष्ठ जोनल कृषि विज्ञान केन्द्र का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होनें बताया कि 110 कृषि विज्ञान केन्द्रों में अम्बिकापुर कृषि विज्ञान केन्द्र को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होनें बताया कि वर्ष 2012-13 मे कांकेर के कृषि विज्ञान केन्द्र तथा 2013-14 में दंतेवाडा कृषि विज्ञान केन्द्र को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

             
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