रायपुर– छत्तीसगढ़ की 117 सूखाग्रस्त तहसीलों में किसानों के लिए 25 प्रतिशत कर्ज माफ़ी के सरकारी आदेश के क्रियान्वयन में राज्य सरकार ने दोहरा मापदण्ड अपनाया है। सरकार पर आरोप लगाते हुए मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि सरकार के इस आदेश में कई पेंच हैं। जिसके चलते किसानों को ऋण माफी का फायदा नहीं मिल रहा है।
मरवाही विधायक अमित जोगी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। तहसीलों के हिसाब से 25 प्रतिशत ऋण माफ़ी योजना बनाई गयी। सरकार ने ये कहा था कि धान की खेती के लिए जिन भी किसानों ने 2015-2016 में कृषि ऋण लिया है, उन्हें 75 प्रतिशत ऋण की अदायगी करने पर ऋण मुक्त माना जाएगा। लेकिन सरकार के इस आदेश में कई पेंच हैं जिससे किसानों को 25 प्रतिशत ऋण माफ़ी का लाभ नहीं मिल रहा है। सूखा प्रभावित पेण्ड्रा, गौरेला, मरवाही और प्रदेश के अन्य सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अनेकों ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहाँ कृषि ऋण की 100 प्रतिशत अदायगी करा ली गयी है।
जोगी ने कहा कि पटवारी की अनावरी रिपोर्ट के आधार पर 25 प्रतिशत ऋण माफ़ किया जा रहा है तो फिर जिन गाँवों में धान की अच्छी फसल हुई है उन गाँवों में बम्पर धान की पैदावार के बाद भी किसानों से कम धान क्यों ख़रीदा गया ? जोगी ने कहा कि सिवनी भर्रीडांड, लरकेनी और छत्तीसगढ़ के कई सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सहकारी समिर्तियाँ किसानों से पूरा धान नहीं ख़रीद रही है। 25 प्रतिशत ऋण माफ़ी का लाभ देने के बाद यह कहकर नो ड्यूज प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है।
अमित जोगी ने कहा कि पहले तो सरकार ने सूखे क्षेत्रों को सूखाग्रस्त घोषित करने में देर की। किसानों का रोष बढ़ा तो सरकार ने 25 प्रतिशत कर्ज माफ़ी का एलान कर वाह वाही बटोरने का प्रयास किया। इसके विपरीत जमीनी हकीकत कुछ और ही निकली। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में स्थित सहकारी समितियों ने पटवारी की अनावरी रिपोर्ट को आधार मानकर किसानों को पूरा पूरा कर्ज पटाने के लिए बाध्य किया जाना इस बात का प्रमाण है कि सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील है। समर्थन मूल्य और बोनस के बाद 25 प्रतिशत कर्ज माफ़ी , रमन सरकार की किसानों के प्रति वादाखिलाफी हैं। जोगी ने कहा कि सरकार के दोहरी रणनीति के खिलाफ विधानसभा के आगामी बजट सत्र में मुद्दे को उठाएंगे ।