कमजोर नेतृत्व ने दिया बिलासपुर को धोखा..सुधीर

BHASKAR MISHRA
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IMG-20151007-WA0006बिलासपुर ( भास्कर मिश्र )   — हो सकता है…लोगों में स्मार्ट सिटी को लेकर कोई शक सुबह हो…जब लोग स्मार्ट सिटी के महत्व को समझेंगे…उस दिन यह शहर रायपुर की तुलना में किसी में मामले में कम नहीं होगा…लोग समझने का प्रयास भी कर रहे हैं….समय जरूर लगेगा..लेकिन एक दिन बिलासपुर पर देश नाज करेगा…इस शहर को बहुत पहले ही स्मार्ट बन जाना था…बिलासपुर नेचुरल शहर है..लेकिन चार दीनिया कर्मचारी और कमजोर नेतृत्व ने शहर के विकास को बांझ बना दिया । जबसे विलासपुर की कमान अमर अग्रवाल को मिली है…तब से हमारा शहर दिन दूनी रात चौगुना विकास कर रहा है…यह बातें सीजी वाल से एक मुलाकात में गोलाबाजार के प्रतिष्टित व्यवसायी सुधीर खण्डेलवाल ने कही।

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                   बिलासपुर के विकास और विचार को चार दीनियों ने दुष्प्रभावित किया है…जिन कर्मचारियों ने बिलासपुर के तासीर को नहीं समझा..उन्होंने शहर को बरबाद कर दिया…। आज से 15-20- साल पहले रायपुर और बिलासपुर में कोई अन्तर नहीं था। लेकिन मशीन की तरह सोच समझ रखने वाले अधिकारियों ने बिलासपुर की स्वभाविकता को बदल कर रख दिया। नतीजन शहर का विकास प्रभावित हुआ है। हां..कई अच्छे अधिकारियों ने बिलासपुर की तासीर को समझा…लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी…। जिसके चलते बिलासपुर की तुलना में अन्य शहर हमसे बहुत आगे निकल गये। इसमें हमारे कमजोर नेतृत्व का भी बहुत बड़ा हाथ है।

               सुधीर खण्डेलवाल ने बताया कि जब से बिलासपुर का नेतृत्व अमर अग्रवाल के हाथों में आया है..शहर ने लगातार विकास किया है। अब किसी भी बड़ी योजना में रायपुर के साथ बिलासपुर का नाम शुमार होता है। साल 2000 से पहले हमारा नेतृत्व बहुत कमजोर था। रविशंकर शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल, श्यामचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा जैसे बड़े नेताओं के चलते प्रदेश गठन से पहले और बाद में छत्तीसगढ़ का अर्थ सिर्फ रायपुर था। लेकिन अमर अग्रवाल ने इस मिथक को तोड़ा है। अब छत्तीसगढ़ का मतलब रायपुर ही नहीं बिलासपुर भी होता है। उन्होने बताया कि यदि हमारे पास…तात्कालीन समय मजबूत नेतृत्व होता तो भिलाई स्टील प्लांट बिलासपुर संभाग या जिला का हिस्सा होता।

               सोचने वाली बात है कि रायपुर में ना तो पानी है और ना ही कोयला..ना डोलोमाइट है और ना ही चूना…बावजूद इसके स्टील प्लांट दुर्ग में खुला…अन्यथा इसे जांजगीर में खुलना था..जहां स्टील प्लांट के लिए सबसे अनुकूल वातावरण है। लेकिन नहीं खुला…इसकी वजह हमारा कमजोर नेतृत्व था। यदि उस समय अमर जैसा नेता होता तो पावर प्लांट हमारे आंगन में होता..। यहां के लोगों को रोजगार मिलता..।.यस बास छाप नेताओं ने हमारे हक को ना केवल छिनते हुए देखा..बल्कि अन्य कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर भी चुप्पी साधना उन्हें उचित लगा….और तमाम योजनाओं को बिलासपुर से बाहर यूं ही जाने दिया। इस बात का हमें मलाल है…लेकिन खुशी है कि अमर अग्रवाल ने धीरे-धीरे विकास की दिशा को बिलासपुर की ओर मोड़ दिया है।

amar inter.                     सीजी वाल से खण्डेलवाल ने बताया कि प्रदेश गठन के बाद बिलासपुर की जनता ने विकास का जिम्मा अमर अग्रवाल के हाथों में सौंपा…। पिछले पन्द्रह साल से यहां आने वाले अधिकारी बिलासपुर को लेकर हमेशा दिखाई दिखाई दिये। अन्यथा पहले के अधिकारी यहां पिकनिक मनाने आते थे…अपना काम कर चल देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है…। देखने में आ रहा है कि बिलासपुर के विकास को लेकर अधिकारी बेहद संवेदनशील हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण निगम और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से झलकती है। बिलासपुर की जनता भी चाहती है कि शहर का विकास तेजी से हो..। यदि थोड़ी बहुत तकलीफ होगी तो उसे सहन करने को भी तैयार हैं।

                   सीजी वाल से सुधीर खण्डेलवाल ने बताया कि अमर अग्रवाल के चलते ही बिलासपुर का तेजी से विकास हो रहा है। यदि पहले की तरह नेतृत्व होता तो अरपा विकास प्राधिकरण, सिवरेज और स्मार्ट सिटी योजना रायपुर के आस पास के शहरो का हो जाता। हम केवल लकीर पीटते रह जाते। लोग कहते हैं कि सिवरेज,अरपा विकास और स्मार्ट सिटी योजना महज एक छलावा है। सच्चाई तो यह है कि चार दीनियों ने हमारी मानसिकता इस हद तक दुषित कर दिया है कि हम अच्छे और बुरे का भेद ही करना भूल गये हैं। यदि यह योजना हाथ से निकल जाती तो यही कुछ चंद लोग अमर अग्रवाल पर उंगली उठाते…। जबकि उन्हें उठाने का कोई हक नहीं है..। यदि पहले उंगली उठाए होते तो भिलाई स्टील प्लाट हमारे हाथ से नहीं निकलता।

           खण्डेलवाल ने सीजी वाल से कहा कि बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सर्जरी की जरूरत है.। ना केवल जमीनी स्तर पर बल्कि मानसिक स्तर पर भी। उन्होंने बताया कि इन दिनों प्रशासन ठीक-ठाक काम कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन उनके प्रयासों से गोलबाजार का गौरव लौटेगा। बेजाकब्जाधारियों की शामत आएगी। सुधीर खण्डेलवाल..गोलबाजार में बेजा कब्जा को लेकर पुराने निगम अधिकारियों को दोषी मानते हैं। उन्होंने बताया कि गोलबाजार बिलासपुर की शान है। ऐसा बाजार अविभाज्य मध्यप्रदेश के समय में भी नहीं था। यदि निगम पहल करे तो गोलबाजार की शान और शौकत लौट आएगी। गोलाकार में बसा गोलबाजार..व्यवसाय के अनुरूप विभाजित था…। आज बेजाकब्जाधारियों ने उस पहचान को मिटा दिया है। यहां..चूड़ी लाइन थी..खोवा गली थी..सायकल गली थी..कपड़ा गली थी..ना जाने क्या क्या गली थी..। वहां सिर्फ संबधित चीजों का व्यापार होता था।.. लेकिन चंद रूपयों के चक्कर में सब पुराने चार दीनियों ने सब कुछ बंटाधार कर दिया। हमारी पहचान हमसे छीन ली। हम चाहते हैं कि गोलबाजार क्षेत्र को स्मार्ट सिटी का हिस्सा बनाया जाए। लेकिन इसके पहले इसकी सर्जरी भी हो।

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