आने वाला समय बिलासपुर का…

Chief Editor
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03 (भास्कर मिश्र)- बिलासपुर बहुत सुन्दर शहर है..सुन्दरता यहां के लोगों के जन्मजात स्वभाव के कारण हासिल हुई है। यहां के छात्र बहुत ऊर्जावान हैं..इनकी ऊर्जा का उपयोग अभी तक समुचित तरीके से नहीं हुआ है। लेकिन धीरे-धीरे होगा। बिलासपुर न्यायधानी का दर्जा रखता है..यहां की धरती रत्नगर्भा है..उससे कहीं ज्यादा यहां के लोगों का आचार-व्यवहार प्रभावित करने वाला है। बहुत कम शहर हैं जिन्हें प्रकृति ने एक साथ बिलासपुर की तरह सब कुछ दिया हो। यहां के लोग भोले- भाले हैं। सहजता बिलासपुर की परिपाटी है। देखकर अच्छा लगता है कि इस शहर से विचारों की ऊर्जा प्रवाहित होती है।  वह दिन भी आएगा जब यहां के बच्चे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिलासपुर का मस्तक शिक्षा जगत में ऊंचा करेंगे। हमने पिछले चार साल में जो भी प्रयोग किया वह धीरे-धीरे दिखाई देने लगा है। सीजी वाल से एक मुलाकात में ये बातें बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.गौरीदत्त शर्मा ने कही।

उन्होंने सीजी वाल के सभी प्रश्नों का खुलकर जवाब देते हुए कहा कि मांग के अनुरूप सरकार संसाधनों को पूरा नहीं कर सकती..शिक्षा का स्तर लगातार ऊंचा हो रहा है। प्रतियोगिता में बने रहने के लिए शिक्षा में आ रहे विस्तार और बदलाव के साथ चलना ही होगा। हर दस साल में शिक्षा में बदलाव देखने को मिल रहा है। यह सब स्वाभाविक और सामान्य प्रक्रिया है। निजी संस्थाएं घर लुटाकर महंगी शिक्षा तो देगी नहीं। प्रतियोगिता इतनी जबरदस्त हो चुकी है कि सभी को मनचाहे जगह प्रवेश मिलना मुश्किल है। सभी संस्थाओं के अपने  कुछ दायरे हैं। ऐसे में छात्र जाएंगे कहां । जाहिर सी बात है कि निजी संस्थाएं अच्छी शिक्षा देने का काम ईमानदारी से कर रही हैं। बावजूद इसके कोई कहे कि शिक्षा का व्यावसायीकरण हो रहा है तो मैं इसे गलत मानता हूं। शिक्षा का लगातार उन्नयन हो रहा है…समय की मांग भी है। यदि हम समय के साथ नहीं चलेंगे तो हम बहुत पीछे छूट जाएंगे।

गौरीदत्त शर्मा ने बताया कि मेरा एक मात्र सपना है कि प्रत्येक छात्र-छात्राओं का शिक्षा, समानता और अवसर पर बराबर की भागीदारी हो। तभी समाज और देश का समग्र विकास होगा। हमने बिलासपुर विश्वविद्यालय से ऐसे छात्रों को तैयार करने का संकल्प लिया है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बताएंगे कि हम न्याय के साथ ऊर्जा की धरती से ताल्लुक रखते हैं। वह दिन अब दूर भी नहीं है।

गौरी दत्त शर्मा ने सीजी वाल को बताया कि मै मेरठ से होकर नार्थ ईस्ट केन्द्रीय विश्वविद्यालय से बिलासपुर विश्वविद्यालय तक पहुंचा हूं। माइक्रोबायलाजी से एमएससी और डाक्टरेट गौरीदत्त शर्मा ने बताया कि मुझे नार्थ ईस्ट केन्द्रीय विश्वविद्यालय में चालिस साल तक काम करने का अवसर मिला। नार्थ हिल विश्वविद्यालय का कुलपति रहा। पढ़ाई के दौरान ही पीएचडी की । कैम्पस प्रभारी की जिम्मेदारी निभाया। आसाम केन्द्रीय विश्वविद्यालय का उप कुलपति भी रहा। इस दौरान मैने जो अनुभव किया उसे छात्रों में ईमानदारी के साथ बांटा । नागालैण्ड और आसाम में मेरे अच्छे अनुभव रहे। देश- विदेश के लोगों से मिलने का अवसर मिला। इस दौरान कहीं कामयाब हुआ तो कहीं नाकामयाब। इन्हीं दोनों अनुभवों के साथ मै बिलासपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनकर आया। चूंकि मुझे दूरियों को लेकर कभी शिकायत नहीं रही,,इसलिए बिलासपुर आकर मुझे खुशी हुई।

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सीजी वाल को बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गौरीदत्त शर्मा ने बताया कि हम ग्लोबल गांव का हिस्सा हो चुके हैं। हमारा संघर्ष अब अपनों से ही नहीं दूसरों से भी हैं। हमें वक्त के साथ आगे चलना ही होगा। उन्होंने बताया कि राज्य यूनिवर्सिटी होने के कारण हमारे पास रिसोर्सेज सीमित है। बावजूद इसके सीमित साधनों में हमें जमाने से आगे निकलने का हुनर सीखना होगा। जो कठिन है लेकिन नामुमकिन नहीं। आज हमारे विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए कट आफ मार्क्स 72 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। पहले ऐसा नहीं था। मै बताना चाहता हूं कि यहां के बच्चों में बहुत उर्जा है। उन्होंने ही हमारे प्रयास को चार चांद लगाते हुए विश्वविद्यालय का नाम प्रदेश में रोशन किया है।

गौरीदत्त शर्मा ने बताया कि गुरूकुल की दुहाई देने वालों को बताना चाहुंगा कि उन्होंने युवाओं की सोच को दिग्भ्रमित किया है। जमाना प्रैक्टिकल के दौर से गुजर रहा है। अब काबिलियत की नहीं काबिल लोगों की जरूरत है। मै इस सोच को विश्वविद्यालय में अप्लाई कर रहा हूं। वह दिन भी आएगा जब बिलासपुर विश्वविद्यालय को देश में श्रेष्ठ विश्वविद्यालय का तमगा हासिल होगा। अभी बिलासपुर विश्वविद्यालय का कट ऑफ मार्क्स स्तर बढ़ा है प्रवेश के लिए छात्र जमकर पसीना बहा रहे हैं। जाहिर सी बात है बच्चे आगे बढ़ने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इस मेहनत का फायदा ना केवल बिलासपुर को बल्कि पूरे प्रदेश और देश समेत विश्व को मिलेगा। उन्होंने बताया कि हमने पाठ्यक्रम को अपडेट किया है। परम्परागत विषयों के साथ प्रायोगिक विषयों को जोड़ा है। जब तक ज्ञान का प्रैक्टिकल नहीं होगा तब तक प्रतिभा में निखार नहीं आएगी। शिक्षा में प्रवाह का होना बहुत जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर विश्वविद्यालय में सेमेस्टर सिस्टम को चालू किया गया है। इससे अध्ययन में निरन्तरता बनी रहती है।

उन्होंने बताया कि यहां प्रतिभा की कमी नहीं है। कमी हम में है। हम जो देंगे छात्र वहीं ग्रहण करेंगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने स्थानीय विषयों को भी पाठ्क्रम में शामिल किया है। छात्रों में खोजी प्रवृति को जगाया है। शोध से नए निष्कर्ष सामने आएंगे। हमने वर्तमान को भविष्य के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। शर्मा ने बताया कि यहां के लोगों और छात्रों के प्रयास से बिलासपुर विश्वविद्यालय ने मात्र तीन महीने में एयूआई यूजीसी मान्यता  हासिल कर ली। बड़े बड़े सेमिनार का आयोजन कर हमने देश को बताया है कि बिलासपुर विश्वविद्यालय को आने वाले समय में शिक्षा जगत में सिरमौर होने से कोई नहीं रोक सकता । यहां के छात्र प्रतिभाशाली तो हैं ही साथ ही लगनशील और संवेदनशील भी हैं। चाइस बेस कोर्स से छात्रों में पढाई के प्रति रूचि जागृत हुई है। अब तो परिणाम भी आने लगा है। यूजीसी ने हमारे प्रयासों और छात्रों की मेहनत को मुहर लगाते हुए प्रदेश के चार कालेजों को ए ग्रेड का दर्जा दिया है। जिनमें से तीन कालेज बिलासपुर विश्वविद्यालय के ही हैं। ए ग्रेड की श्रेणी में सीएमडी, बिलासा कन्या महाविद्यालय और साइंस कालेज को यूजीसी ने शामिल किया है। चौथा नाम दुर्ग कालेज का है। यह प्रगति मात्र चार साल की है।

शर्मा ने बताया कि मै छात्र हित से कभी समझौता नहीं करता। मै जो कुछ हूं छात्रों के दम पर हूं। खासतौर पर बिलासपुर के छात्रों में मैने जितनी उर्जा देखी है उतना मुझे कहीं और देखने को नहीं मिला है। यहां के छात्र कुछ नया सीखने और ज्ञान के प्यासे हैं । इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने कालेज में वाई फाई लगाने का प्लान किया है।

सीजी वाल से बातचीत के दौरान उन्होंने एक बार फिर कहा कि देश की यह ऐसी धरती है जहां सांस्कृतिक, पौराणिक कथाओं का ही नहीं बल्कि प्रकृति और ऊर्जा का अनुपम संयोग है। यह संयोग सबको हासिल नहीं होता। मेरी जिम्मेदारी बनती है कि यहां की ऊर्जा और प्रकृति को शिक्षा के माध्यम से सबके सामने लाऊ। मेरा चालिस साल का शैक्षणिक अनुभव बताता है कि आने वाला समय बिलासपुर का ही होगा। अन्त में उन्होंने यह भी कहा कि ऊर्जावान नगरी और छात्रो के कुछ करने के लिए मै अपने चालिस साल के अनुभवों को कुर्बान करने को भी तैयार हूं।

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