अब बिना कटे,हट जाएंगेे पेड़

Chief Editor
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रायपुर ।सड़क चौड़ीकरण या विभिन्न प्रकार के अन्य निर्माण कार्यों से प्रभावित होने वाले  वर्षो पुराने वृक्षों को अब काटने जरूरत नहीं होगी। उन्हें ऐसे निर्माण स्थलों से जड़ और मिट्टी सहित सुरक्षित निकालकर दूसरी जगहों में शिफ्ट किया जा सकेगा। इसके लिए वन विभाग द्वारा ट्री-ट्रांसप्लांटर मशीन की मदद लेकर छत्तीसगढ़ में विशेष अभियान चलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मंगलवार को शाम नया रायपुर के वनस्पति उद्यान (बॉटनीकल गार्डन) में पूजा अर्चना कर वहां के पुराने पेड़ों को बचाने के इस  महत्वपूर्ण अभियान का शुभारंभ किया। वन मंत्री  महेश गागड़ा, वन विभाग के प्रमुख सचिव  आर.पी. मंडल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक  ए.ए. बोआज, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श बी.एन. द्विवेदी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सर्वश्री मुदित कुमार सिंह, राजेश गोवर्धन, नरसिंह राव और कौशलेन्द्र सिंह सहित वन विभाग के अन्य अनेक वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के समक्ष ट्री-ट्रांसप्लांटर मशीन की मदद से शीशम का लगभग 30 फीट ऊंचा पेड़ बॉटनीकल गार्डन में फिर से रोपा गया। यह वृक्ष रायपुर-धमतरी मार्ग चौड़ीकरण के दौरान स्थानीय शदाणी दरबार के नजदीक लगा हुआ था। वहां से ट्री-ट्रांसप्लांटर मशीन द्वारा उसे सुरक्षित निकालकर नया रायपुर के वनस्पति उद्यान में लगाया गया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वृक्षों की सकुशल शिफ्टिंग की इस वैज्ञानिक पद्धति को छत्तीसगढ़ में वन विभाग के इतिहास में एक नई शुरूआत बताया और इसकी सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह नई वैज्ञानिक पद्धति पुराने वृक्षों के संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगी। सड़क आदि विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक निर्माण कार्यों के दौरान कई स्थानों पर वृक्षों को काटना जरूरी हो जाता है, लेकिन अब उन्हें ट्री-ट्रांसप्लांटर मशीन के द्वारा शिफ्ट कर उचित स्थानों पर लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया रायपुर का बॉटनीकल गार्डन प्रदेश में बड़े पेड़ों को बचाने के इस अभियान की पहचान बनेगा। उन्होंने बताया कि राजधानी रायपुर स्थित मेडिकल कॉलेज के पीछे सड़क चौड़ीकरण में लगभग डेढ़ सौ हरे-भरे बड़े पेड़ प्रभावित होंगे, जिन्हें ट्री-ट्रांसप्लांटर मशीन के जरिए वहां से सुरक्षित निकालकर बॉटनीकल गार्डन में रोपा जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इस विधि के उपयोग से बड़े वृक्षों के जीवित रहने की दर 95 प्रतिशत तक है। वर्तमान में इस मशीन से एक वृक्ष को कम से कम आधे घण्टे में जड़ सहित सुरक्षित लगाया जा सकता है।

 

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