सीयू के डॉ. प्रजापति ने चीन में यंग साइंटिस्ट से कहा – -नाभिकीय ऊर्जा करेगी भविष्य में ऊर्जा संकट का निवारण

Chief Editor
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ggdu prajapatiबिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. राम प्रसाद प्रजापति ने चीन में ब्रिक्स ( BRICS)     यंग साइंटिस्ट फोरम कॉनक्लेव में दुनियाभर से आए तकरीबन 100 युवा वैज्ञानिकों को संबोधित किया। डॉ. प्रजापति ने अपने संबोधन में नाभिकीय ऊर्जा की तकनीकों व भविष्य में होने वाले ऊर्जा संकट के निवारण में नाभिकीय संलयन ऊर्जा के महत्व पर व्याख्यान दिया ।
11-15 जुलाई,  तक चीन के होंगझोऊ प्रांत के झेजियांग विश्वविद्यालय में आयोजित ब्रिक्स यंग साइंटिस्ट फोरम में ब्रिक्स देशों के तकरीबन 100 वैज्ञानिक “बिल्डिंग यंग साइंटिस्ट्स लीडरशिप इन साइंस, टैक्नालॉजी एंड इनोवेशन” विषय पर ऊर्जा, बायो मेडिसिन, बॉयोटेक्नोलॉजी, इनोवेशन, पॉलिसी, तथा उन्नत पदार्थों के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक शोध कार्यों को ब्रिक्स देशों के वैज्ञानिकों के साथ साझा कर रहे हैं।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. राम प्रसाद प्रजापति ने नाभिकीय ऊर्जा की तकनीकों व भविष्य में होने वाले ऊर्जा संकट के निवारण में नाभिकीय संलयन ऊर्जा के महत्व एवं नाभिकीय संलयन के दौरान उत्पन्न होने वाले प्लाज्मा को किस प्रकार नियंत्रित किया जाएँ उन तकनीकों पर विस्तृत चर्चा की।
केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोध एवं शोधार्थियों हेतु सुविधाओं की गुणवत्ता में लगातार स्तरीय सुधार के प्रयत्न हो रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप दो युवा वैज्ञानिकों को फॉर्मेसी में रमन फैलोशिप के अंतर्गत अमेरिका में शोध हेतु अवसर प्राप्त हुआ साथ ही अन्य विभागों के शिक्षकों को भी विदेशों के अन्य विश्वविद्यालयों सिंगापुर, दुबई, चीन के इत्यादि में अपना शोध प्रस्तुतिकरण का सुअवसर एवं सम्मान प्राप्त हुआ है।ggdu prajapati 1
चीन में आयोजित हो रहे इस ब्रिक्स यंग साइंटिस्ट कॉनक्लेव हेतु भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा देश के 20 युवा वैज्ञानिकों को नामित किया गया था। केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. प्रजापति समेत भारत के युवा वैज्ञानिकों ने विभिन्न शोध क्षेत्रों में अपने आधुनिक शोध कार्यों को ब्रिक्स फोरम में प्रस्तुत किया तथा भारत में विज्ञान, तकनीकी व नवाचार के क्षेत्र में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा जिसे अन्य देशों के युवा वैज्ञानिकों ने सराहा तथा शोध कार्य में सहभागिता के लिए भी सहमत हुए।
क्या है ब्रिक्स-
ब्राजील, रूस, भारत, चीन, तथा साउथ अफ्रीका ने 2009 में सयुंक्त राष्ट्र कि सामान्य महासभा में ब्रिक्स के गठन का निर्णय लिया जिसका उद्देश्य ब्रिक्स देशों में आर्थिक सहभागिता के साथ-साथ शिक्षा, कृषि, व्यापार, विज्ञान व तकनीकी जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत करना है। वर्ष 2015 में ब्रिक्स देशों ने विश्व कि कुल जीडीपी का  22-53 फीसदी     उत्पादन किया है, तथा विगत 10 वर्षों में 50 फीसदी  से ज्यादा आर्थिक विकास में सहभागिता दी है।

             
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