बिलासपुर— रतनपुर कोटा मार्ग निर्माण में अनुमति नहीं होने के बाद भी मुरूम का प्रयोग किया गया। सड़क बेशक अच्छी बनी हो लेकिन निर्माण के दौरान खनिज विभाग को जिन्दल के ठेकेदार मुकेश अग्रवाल ने करीब 35 लाख का फटका लगाया है। शिकायत के बाद 25 नवम्बर को तात्कालीन कोटा एसडीएम डाहिरे, तहसीलदार हेमलता डहरिया ने छापामार कार्रवाई में जिन्दल को मुरूम उत्खनन करते रंगे हाथ पकड़ा। 40 हजार रूपए की पेनाल्टी लगाकर मामले को रफा दफा कर दिया। जबकि मुरूम खुदाई करीब दो एकड़ में हुई। लेकिन एसडीएम ने मात्र 195 घनमीटर क्षेत्र में मुरूम का अवैध उत्खनन होना बताया।
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25 नवम्बर 2016 में कोटा प्रशासन ने जिन्दल इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ मुरूम के अवैध उत्खनन पर कार्रवाई की थी। जांच पड़ताल के बाद कोटा प्रशासन ने मामले को हल्के में रफा दफा कर दिया। जिन्दल पर 195 घनमीटर क्षेत्र में मुरूम का अवैध उत्खनन का मामला बनाया। करीब 40 रूपए की पेनाल्टी कर 6 हाइवा और दो पोकलेन को जब्त किया। बाद में सभी गाड़ियों को थाने से छोड़ दिया गया।
दो एकड़ में निकला 35 लाख का मुरूम
25 नवम्बर 2016 को कोटा प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर देखा कि दो एकड़ क्षेत्र में करीब तीन से चार फिट गहराई तक मुरूम का अवैध उत्खनन किया गया है। रिपोर्ट में टीम ने 195 घनमीटर में अवैध उत्खनन किया जाना बताया। 40 हजार की पेनाल्टी लगाकर ठेकेदार मुकेश अग्रवाल को सस्ते में छोड़ दिया गया। जबकि मुरूम उत्खनन करीब 2 एकड़ क्षेत्र में तीन से चार फिट की गहराई तक हुई थी। जानकारों के अनुसार पेनाल्टी की रकम करीब 35 लाख रूपए होनी चाहिए थी।
जिला प्रशासन ने एसडीएम डीलेराम डाहिरे को कोटा से हटाकर बिलासपुर अटैच कर दिया। संदेश देने का प्रयास किया गया कि लापरवाही और भ्रष्टाचार को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद जिला प्रशासन ने 35 लाख रायल्टी वसूली का प्रयास नहीं किया। जाहिर सी बात है कि सरकार को ठेकेदार मुकेश अग्रवाल ने 35 लाख रूपए का फटका लगा।
फाइल आने पर करेंगे कार्रवाई
मामले में कलेक्टर पी.दयानन्द ने बताया कि एसडीएम को हटाना और नया भेजना सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। कोटा सड़क निर्माण में यदि मिट्टी का प्रयोग किया जाना था तो मुरूम का क्यों किया गया। मामले को संज्ञान में लेंगे। मुरूम के अवैध उत्खनन और 35 लाख की रायल्टी पर भी गौर करेंगे। निश्चित रूप से मामले को गंभीरता के साथ लिया जाएगा।
बहरहाल जिला प्रशासन रायल्टी वसूली को लेकर बहुत गंभीर नहीं है। जिन्दल इन्फ्रास्ट्रक्चर ज्वाइंट वेंचर ठेकेदार मुकेश अग्रवाल भी मामले में निश्चिन्त है। इसकी वजह क्या हो सकती है…शायद ठेकेदार ही बता सकता है।