भाषाओं में दुश्मनी नहीं होती…दिलों को जोड़ती हैं…पी.दयानन्द

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

chhattisgarhi rajbhasha prashikchad (4)बिलासपुर— कलेक्ट्रेट स्थित मंथन सभागार में छग राजभाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में कलेक्टर पी दयानंद ने छत्तीसगढ़ी भाषा को रोजमर्रा के कार्यक्रमों शामिल करने को कहा।कलेक्टर ने कहा राज्य गठन के बाद कई हिस्सों में छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग तेजी से हो रहा है। इसलिए बिलासपुर में भी प्रयोग किया जाना जरूरी है। उन्होनें कहा भाषाओं के बीच दुश्मनी नहीं होती है। इसलिए इसका खुलकर प्रयोग किया जाए। कम से कम प्रयास तो होना ही चाहिए।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                    मंथन सभागार में राजभाषा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष विनय पाठक, विनोद वर्मा, राघवेन्द्र दुबे, विनय तिवारी मौजूद थे। कलेक्टर पी दयानंद के अलावा एडीएम के.डी.कुंजाम ने भी प्रशिक्षण का लाभ लिया। कलेक्टर पाण्डेय दयानंद ने कहा कि राज्य गठन के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग तेजी से किया जा रहा है। उन्होने कहा कि भाषाएं दिलों को जोड़ती हैं। इतना तो निश्चित है कि भाषाओं में दुश्मनी नही होती है। किसी भी राज्य की भाषा और बोली प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान होती है।

                     त्रिभाषा का  जिक्र करते हुए कलेक्टर ने कहा कि प्रदेश की भाषा छत्तीसगढ़ी के अलावा हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य प्रमुख भाषाएं भी हैं। व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। छत्तीसगढ़ विविधओं भरा राज्य है। यहां कई परिवार मिल जाएंगे जहां एक से अधिक भाषाएं बोली और समझी जाती हैं। कलेक्टर ने बताया कि भाषाओं की जानकारी से व्यक्तित्व का विकास होता है। ज्ञान भण्डार मिलता है..जानकारी में इजाफा भी होता है। इस दौरान कलेक्टर ने सभी सभी विभागीय कर्मचारियों को अधिक से अधिक छत्तीसगढ़ी का प्रयोग करने के लिए उत्साहित किया।

                                      कार्यशाला में शामिल अतिथियों ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा पर प्रकाश डाला। उपस्थित लोगों को छ्त्तीसगढ़ी भाषा की तकनीकी जानकारी दी। कार्यशाला में मौजूद कर्मचारियों और समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढी भाषा विकास और शब्दों के भण्डारण पर विचार रखे।

             राजभाषा आयोग के अध्यक्ष विनय पाठक ने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत ही मिठास है। इसे ना केवल बोलना आसान है बल्कि बोलने और सुनने के बाद दिल दिमाग को तरोताजा कर देती है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा का शब्दकोश को भी तैयार है। यदि लोगों को शब्दों के बोलने और समझने में किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो शब्दकोष से सहारा लिया जा सकता है।

Share This Article
close