खबर यह भी है कि राज्यपाल एवं कुलाधिपति बलरामजी दास टंडन द्वारा डॉ. जी. डी. शर्मा को बिलासपुर विश्वविद्यालय, बिलासपुर का कुलपति नियुक्त किया गया है। राज्यपाल के सचिव अशोक अग्रवाल द्वारा आज यहां आदेश जारी किया गया। यह नियुक्ति छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 (क्रमांक 22, 1973) की धारा 13 की उपधारा (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए की गई है।
एबीव्हीपी का विरोध
शाही की नियुक्ति की भनक लगते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों ने जमकर विरोध किया था । एबीव्हीपी के नेताओं ने डॉ.शाही पर वामपंथी विचारधारा का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया। कलेक्टर को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर डॉ.शाही की नियुक्ति आदेश को निरस्त करने की मांग की थी ।विद्यार्थी परिषद के विरोध को देखते हुए राजभवन ने प्रो. सदानंद शाही की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी । नया आदेश जारी कर वर्तमान कुलपति प्रो जीडी शर्मा के कार्यकाल को बढ़ा दिया गया था । आदेश में डॉ.शर्मा के एक्सटेंशन अवधि का जिक्र नहीं किया गया है।
कौन है डॉ.सदानन्द शाही
डॉ.सदानन्द शाही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक हैं। डॉ.शाही का नाम साहित्य जगत में सम्मान के साथ लिया जाता है। भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के समन्वयक होने के साथ उन्होने देश की नामचीन पत्र पत्रिकाओं और समाचार पत्रों का संपादन किया है। प्रगतिशील विचारधारा के समर्थक डॉ.सदानन्द शाही का विवादों से हमेशा तालमेल रहा है।
शाही को लेकर विवाद क्यों…
एबीव्हीपी के नेताओं ने बताया था कि डॉ.सदानन्द शाही वाइस चांसलर की योग्यता नहीं रखते हैं। बावजूद इसके उन्हें राज्य सरकार ने बिलासपुर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्ति आदेश दी। प्रोफेसर का 10 वर्षों का अनुभव भी नही होना बताया है। डॉ.शाही अनुभव के लिए निर्धारित मापदण्ड को पूरा नहीं करते हैं। कुलपित के लिए बतौर प्राध्यापक कम से कम 10 वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। जबकि शाही का अनुभव 4 महीने कम है।