बिखर गया दूसरा अमरकंटक बनाने का सपना

Shri Mi
3 Min Read

caption_pranchaddha(प्राण चड्ढा)।छत्तीसगढ़ की सीमा में मध्यप्रदेश के करीब पर्वतीय पठार पर दूसरा अमरकंटक बनाने के सपना बिखर गया है। करीब 3500 फिट ऊंचे इस पठार का नाम है, राजमेरगढ़, यहां करोड़ों के व्यय होंने के बाद योजना वीरान पड़ी है।छतीसगढ़ राज्योदय बाद अमरकंटक के उसमे शामिल नहीं होने का सदमा यहां के प्रकृति प्रेमियों के जेहन में है। कल भी सारा दिन ये अफवाह जम कर चली की मप्र के अनूपपुर जिला छतीसगढ़ में शामिल होने वाला है,इस जिले में अमरकंटक भी शामिल है।पर सुबह होते अफवाह की हवा निकल गई।

             
Join Whatsapp GroupClick Here

                                     dusra_amarkantak_file_2‘दूसरा अमरकंटक’ बनाने का जुनून छतीसगढ़ के एक प्रभावी मंत्री को इस पठार पर ले आया और फिर खजाने को खोल दिया गया। जलेश्वर महादेव के करीब से राजमेरगढ़ के उस किनारे तक राह बनाई गई जहाँ पर्यटन विभाग के होटल बनने प्रस्तावित थे। यहां तालाब का काम हुआ और पाँच भवन करीब पूरे और एक आधा अधूरा बन ही पाया। पूरे भवन में फ्लोरिंग पेन्टिग का काम बाकी रह गया ।कहा जाता है मंत्री जी का विभाग बदला और दूसरे अमरकण्टक की योजना ठप हो गयी। कुछ और भी कारण हो सकते हैं,पर जो जन्नत बन रही थी वो अब वीरान है, कोई रोने वाला भी नहीं उसके इस हालत पर। पर प्रकॄति प्रेमियों के लिये ये आज भी जन्नत से कम नहीं।

                                 dusra_amarkantak+indexबादल इन दिनों इसके नीचे दिखते हैं, मौसम धूप का हो तो कुछ देर में काले मेघ यहां छा कर बरस पड़ते हैं। बस्तर के आकाशनगर के समान मग़र, इसकी हरियाली मनभावन है।ये अमरकण्टक तो नहीं बना ये गढ़ पर दूर दूर तक भरपूर हरियाली और प्रकृति का नैसर्गिक रूप यहाँ बचा रह गया। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य मनोहारी है। गर्मी की रुत में शीतल ठंडी रातें, सुकून की नींद देने में समर्थ हैं।राजमेरगढ़ को में व्यय पूंजी का उपयोग इसे निजी क्षेत्र में जैसा है जहां है की तर्ज पर दिया जा सकता है। यहां किसी नगर की बसाहट नहीं हो। बस ढांचा अधूरा काम बिना पड़ा है उसे पूरा किया जाए। अब जब अचानकमार की राह बन है तक अमरकण्टक जाने की राह में कुछ हटा कर यह पठार,प्रकृति प्रेमी और शोध करने वालों को उम्दा मुकाम हासिल होगा।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close